अस्पताल
की खिडकी से
कैसा होगा वहाँ ?
दूर दिखाई देती
पहाडी के पीछे
सूरज निकलता है रोज
जहाँ से
एक नदी होगी शायद
झरना भी हो सकता है
जो गिरता होगा
पहाडी के ऊपर से
धरती पर गहरा गड्ढा
हो गया होगा
पिकनिक मनाने आए
बच्चों को
उधर जाने से रोक
रहे होंगे दादाजी हाँक लगाते हुए
धान का खेत होगा
पहाडी के पीछे
सतरंगे वस्त्रों को
कमर में खोंसकर औरतें
रोप रहीं होंगी हरे
पत्तेदार पौधे
गुनगुनाते हुए
देवी का मन्दिर
होगा पहाडी की चोटी पर
तलहटी से सैकडों
सीढियाँ पहुंचती होंगी वहाँ
एक दीप स्तम्भ होगा
और रात को रोशनी
बिखर जाती होगी चारों ओर
एक बडा घंटा कुछ
नगाडे रखे होंगे
आरती के वक्त बजाया
जाता होगा जिन्हे
सडक बन रही होगी
काली टंकियों में
पिघल रहा होगा तारकोल
चक्के पर घूम रहे
डमरू में खडखडा रही होगी गिट्टियाँ
रोड रोलर के इंजिन
की आवाज बदल रही होगी लोरी में
बबूल की छाया में
बंधी झोली में सो रहा होगा कोई बच्चा
शोरगुल के बीच
तमाम जीवित
ध्वनियाँ उपस्थित होंगी वहाँ
जो नहीं है अस्पताल
में खिडकी के पास लगे पलंग के आस-पास ।
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