Thursday, October 29, 2015

नीलामी

नीलामी


नीलामी का अब
दिखाई नही देता बाजार
चिल्ला चिल्ला कर
बोलियाँ नहीं लगाता कोई

खामोशी से नीलाम हो जाते हैं बेटे
सेहरों मे सजकर
भूखे बच्चों के लिए
नीलाम हो जातीं हैं विवश माँए 

बच नहीं पाते उर्वर पद और शहर
गोपनीयता नीलाम हो जाती है गुपचुप
गिरती सरकार को बचा लेते हैं
नीलाम हुए विधायक

अब शोर नहीं होता
एक-दो-तीन का
नीलामी के अदृश्य बाजार में
जाने क्या-क्या बिक जाता है चुपचाप ।

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