Thursday, October 29, 2015

मदर टेरेसा

मदर टेरेसा

मैं मिला नहीं कभी तुमसे मदर टेरेसा
लेकिन जानता हूँ
तुम्हारी साड़ी की किनारी में बहा करती थी
मानवता की नदी

रहती थी तुम्हारे चेहरे पर
वैसी ही मुस्कान
वैसी ही करुणा
जैसी रहा करती है
माँओँ के चेहरों पर

तुम्हारी आँखों में दुखी बेटा
पा लेता था सुख की बूँदें
बीमार बेटी के माथे पर रखा तुम्हारा हाथ
कम कर देता था
उसकी देह का ताप
सूख जाते थे पीढ़ा केपोखर
तुम्हारे शब्दों से

रुकी हवा बहने लगती थी चारों तरफ
लहलहाने लगती थी उमंग की हरियाली

रोगियों के विश्वास
तुम्हारे जीवन को
मरता प्रदान करते रहे मदर

हवा की तरह
महसूस करते हैं हम तुम्हे
दुनिया भर की माँओँ में
मिल जाती है तुम्हारी गंध। 

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