मंदिर
के सामने भिखारी
हिला सकता है वह अपने बचे हुए सारे अंग
आभार और शुभकामनाओं के लिए
सुख-दुख के समाचारों से
खिंच जातीं हैं उसके माथे पर रेखाएँ
सिक्कोँ की हर आवाज पर चमक उठतीं हैं उसकी आँखें
फूडक रही है एक चिड़िया
उसके अंदर
निर्जीव पत्थर की वजह से
जीवित है ठोकर में पड़ा एक मनुष्य।
हिला सकता है वह अपने बचे हुए सारे अंग
आभार और शुभकामनाओं के लिए
सुख-दुख के समाचारों से
खिंच जातीं हैं उसके माथे पर रेखाएँ
सिक्कोँ की हर आवाज पर चमक उठतीं हैं उसकी आँखें
फूडक रही है एक चिड़िया
उसके अंदर
निर्जीव पत्थर की वजह से
जीवित है ठोकर में पड़ा एक मनुष्य।
No comments:
Post a Comment