कविता
बारिश के पहले
ब्रजेश कानूनगो
आने से पहले
कुछ और भी चला आता है
सूचना की तरह
जैसे उजाले से पहले
गुलाबी हो जाता है आकाश
मानसून के पहले
मेघ आते हैं मुआयना करने
टॉर्च जलाते हुए
बूंदों के पहले कोई अंधड़
अस्त-व्यस्त करता है जीवन
सौंधी महक में लिपटी
याद आती है तुम्हारी
बारिश से ठीक पहले.
ब्रजेश कानूनगो
503, गोयल रीजेंसी, चमेली पार्क, कनाडिया रोड,
इंदौर -452018
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