व्यंग्य बाण
पांच स्टेज
1
बहुत रहे दिन खुशहाल,
जैसे हो त्योहार।
खुद को डाल संकट में,
स्वयं पड़े बीमार।
2
नियम प्रकृति के बदले,
भोगा हमने कष्ट।
दूषित जल या संक्रमण,
जीवन सबका नष्ट।
3
अस्पताल सितारा में,
सुखी बहुत बीमार।
परिजन से डॉक्टर लगें,
सिस्टर है तीमार।
4
बीमारी छोड़े नहीं,
रोगी है लाचार।
सेवा करके रात दिन,
परिजन भी बीमार।
5
खबर मौत की आ गई,
मचा खूब कुहराम।
बचा रहे तब तक मनुज,
बीमा करता काम।
000
ब्रजेश कानूनगो
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