Wednesday, January 27, 2021

व्यंग्य बाण : गणतंत्र में

व्यंग्य बाण

गणतंत्र में


1
चीजें कुछ मिटती नहीं,
जैसे भ्रष्टाचार।
दे दें उसको वैधता,
बुरा नहीं विचार।

2
ध्वनि मत से पारित हो,
कानून वही सही।
कोई करे विरोध भी,
हम तक पहुंच नही।

3
चले मिटाने गरीबी,
बढ़ गए नव अमीर।
हुआ नहीं लेवल ऊँचा,
बदली गई लकीर।

4
सत्ता भोगिए इस तरह
कूटनीति से आज,
दोष विरोधी पर मढ़ो,
हो न सके जब काज।

5
अपना मत जब कम पड़े ,   
अक्ल लगाएं खूब।
दुर्बल विपक्षी अश्व को,
जरा खिलाएं दूब।

6
ना काहू से दोस्ती,
ना काहू से बैर।
जनता हो नाराज यदि,
नहीं किसी की खैर।

000
ब्रजेश कानूनगो

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