Saturday, October 31, 2015

दो लड़कियों की तस्वीर


कविता
दो लड़कियों की तस्वीर
ब्रजेश कानूनगो

पहाड़ी ढलान से उतरती दिखाई दे रही हैं
तस्वीर में दो लड़कियाँ

उनके पैरों की स्थिति बता रही है कि
बहुत सावधान हैं उनके कदम

वैसे संभल कर चलना
कोई अटपटी बात नहीं है
रास्ता वीरान और ऊबड़ खाबड़ हो तो
लाजिमी हो जाती है सावधानी

यह भी संभव है कि
उनके साथ में हो कोई तीसरी लड़की
जिसके हाथ में रहा हो कैमेरा
पुरुष साथी भी हुआ तो
क्या फर्क पडेगा उनके बतियाने में

ये जो सौन्दर्य बिखरा पड़ा है आसपास
जरूर हलचल मचा रहा होगा उनके भीतर

कैमरे की आँख ने चाहे 
नहीं पकड़ी हैं उनकी आँखों की चमक
फिर भी कुछ तो है तस्वीर में
जो उनकी पीठ के पीछे भी सुनाई दे रहा है
वायलिन से निकले संगीत की तरह
 
देह भाषा के साथ बिखर रही है
प्रफुल्लता की खुशबू  
खुली हवा में

अरे यह क्या हुआ अचानक
एक नदी बह निकली है
अनायास तस्वीर के भीतर से  
बहने लगे हैं लड़कियों के सुख दुःख
धारा के साथ साथ  

बर्फ जब पिघलती है
तो रोक नहीं सकते उसका बहना

आगे जाना अब मुश्किल होगा शायद  
फिसलन बहुत हो गयी है रास्ते पर
बारिश है कि रुकने का नाम नहीं ले रही
ठिठक गईं हैं तस्वीर की दोनों लड़कियाँ

भीगती ही जा रही है लड़कियों की यह तस्वीर.

ब्रजेश कानूनगो
503, गोयल रीजेंसी, चमेली पार्क, कनाडिया रोड, इंदौर- 452018  

 










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