कविता
सालगिरह
अजीब लग सकता है मेरा विचार
सुनकर कहें कि घूम गया है मेरा मगज बुख़ार
में
लगे यह भी कि इस आदमी को उपचार की जरूरत है तुरंत
बावला करार दिया जाऊँ चाहे
किन्तु मनाना चाहता हूँ अपनी पुरानी कार की
सालगिरह
आमतौर पर मनाई नहीं जाती बेजान चीजों की वर्षगाँठ
जीवित लोगों तक की भुला दी जाती हैं ख़ास तिथियाँ
गुदगुदाने के लिए
कभी कभार ही मनाया गया होगा
किसी विदूषक के छाते का जन्मदिन
फ्रिज या छत के पंखे की मृत्यु पर कोई करे श्राद्ध
तो अलौकिक ही कहेंगे इसे
मेरी यह हिमाक़त भी बड़ी अटपटी है
कि कार की सालगिरह मनेगी
मेरे यहाँ अगले माह की दस तारीख को
बहुत कठिन समय था वह
इतना कठिन कि
दिन भी रात की तरह लगने लगे थे
रात तो फिर रात ही थी
जो और घटाटोप से घिर गयी थी उन दिनों
डरी डरी दो जोड़ी आँखें
ताकती रहती थीं एक दूसरे का सूनापन
यह कार ही थी हमारे साथ
हमारे अपने अंश की तरह
हमारे दुःख की भागीदार
चुभने लगती थीं सुइयाँ जिन दिनों
बैचेन हो उठता था अंग-अंग
मन का अन्धेरा गहराने लगता था कुछ और ज्यादा
तो यही लिए जाती थी वहाँ
जहाँ उम्मीद की रोशनी से
थोड़ा सा खिल उठते थे हमारे चेहरे
जैसे खिलती है कुमुदिनी
जैसे मुस्कुराता है सूरजमुखी का फूल
कुछ बीज डाले गए थे मेरे भीतर
उन्ही में से एक अंकुरित होने को बैचेन है बहुत
मुश्किल से सीखा था सबक कि
बुरे दिनों में मदद करने वालों के प्रति
कृतज्ञता व्यक्त करके ही
निभाया जाता है मनुष्य होने का धर्म
भूल नहीं सकता जीवन की अर्धायु में
उम्ररसीदा कार के उपकार को
मनाना चाहता हूँ अपनी पुरानी कार की वर्षगाँठ का
उत्सव
कहना चाहता हूँ उसे शुक्रिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
ब्रजेश कानूनगो
503,गोयल रीजेंसी,चमेली पार्क, कनाडिया रोड,
इंदौर-452018
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