Thursday, October 29, 2015

बिल्लियों का रोना

बिल्लियों का रोना 

रात भर रोती रहीं बिलियाँ

घुटनों का दर्द बढ गया होगा माँ का
पिता की छाती में जकडन फिर होने लग गई होगी
दूर बसे बटे की दुकान में फट पडा होगा कोई बम
दामाद को मिल गया होगा धमकी भरा पत्र आतंकवादियों से
घबराकर बेटी अपना होश खो बैठी होगी शायद

बिल्लियाँ रोईं थी उस समय  
जब मोहल्ले की युवती को उठा ले गए थे कुछ लोग
कारखाने से रिस गए जहर के कारण
पीढियाँ समाप्त हो गईं थीं कइयों की

बिल्लियों का रुदन जीवित है याददाश्त में

जब जन्म दिया था बेटे को चम्पा ने दम तोडते हुए
तेज आँधी से दामोदर की छत गिर पडी थी उसी के ऊपर
पडोस के मोहन का कंपकपाता शरीर ठंडा हो गया था अचानक
बाढ आई नदी में बह गए थे मामाजी
तब रोई थीं बिल्लियाँ

बडी संवेदनशील हैं बिल्लियाँ हमारे अन्दर
लाख कोशिशों के बाद रुकता नही रुदन











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